मुलाकात
मुलाकात
जिससे, जब, जहां मिलवाना हो
वो रब मिला देता है
सबसे अज़ीज़ जिसको बनाना हो
उसे दोस्त बना देता है
महरूम कोई ना रहे इस दौलत से
आलम तनहाई का ज़िन्दगी को
अजीब बना देता है
जिससे, जब, जहां मिलवाना हो
वो रब मिला देता है
जो बात एक के दिल में,
दूजे के लब पे होती है
एहसास अपनेपन का
और भी करीब ला देता है।
सबसे अज़ीज़ जिसको बनाना हो
उसे दोस्त बना देता है।
जिससे, जब, जहां मिलवाना हो
वो रब मिला देता है।