मुक्ति
मुक्ति
इतने लालायित क्यों हैं लोग
युद्ध की ताज़ा तस्वीरें देखने
के वास्ते,
दूर पुरसकून बैठे लोगों को
क्यों इतनी बेसब्री है,
युद्धस्थल की लहुलुहान धरती
और विध्वंस के हाहाकारी
दृश्यों को देखने की।
यह रससिक्त जिज्ञासा कहीं
उनके भीतर छिपे
दमित युद्धोन्माद की
भूख तो नहीं!
शक्तिहीन के पक्ष और
शक्ति शाली के विपक्ष में
अपना अभिमत प्रकट
करने को कहा जाय,
तो तटस्थ रहेंगे लोग,
उनको सिर्फ विध्वंस के
दृश्यों की जिज्ञासा है,
दृश्य जो परोसे जा रहे हैं
चैनलों द्वारा और अधिक
सनसनीखेज बना कर,
युद्ध के रोमांच और
उत्तेजना में अपने
निजी अवसाद भूलना
चाहते हैं लोग,
एक बारूदी मिसाइल
आ जाय इस तरफ भी
भूले से तो,
मुक्ति मिले उनको
हमेशा हमेशा के लिए
जीवन भर के अवसाद से।