मुझे -उबारो।
मुझे -उबारो।
हे परम गुरु !अब तो मुझे उबारो।
आधी उम्र ढलने को है, जग में ना कोई हमारो।।
हे परम गुरु......
तुम्हरे दर्शन पाने के खातिर, सूझै ना कोई किनारो।
मैं अज्ञानी समझ ना पाता ,कोमल हृदय तुम्हारो।
।हे परम गुरू.......
मन व्यथित है, कछु ना सूझत ,किस विधि मिलन हो तुम्हारो।
भव- जाल ग्रसित, माया में बीता, सकल जीवन हमारो।।
हे परम गुरू....
एक भरोसा ,एक आसरा, तुम ही एक सहारो।
अनेकों तर गए तुम्हरी शरण में, का होगा हमारो।
हे परम गुरु.....
दीन भिकारी द्वार खड़ा, अब ना मुझको टारो।
"नीरज" तो है जन्म का पापी, कुछ तो करुना धारो।।
हे परम गुरू......