मुझे मूर्ति बनना अमान्य है
मुझे मूर्ति बनना अमान्य है
हां मैं काली हूं
हां मैं बहनजी हूं
हां मैं गंवार हूं
लेकिन तुम्हारे लिए ।
अगर मुझसे पूछो तो,
मैं खूबसूरत हूं
और शायद सबसे हसीन भी,
क्योंकि मुझे मेरे कान्हा का रंग मिला।
हां थोड़ी बहनजी हूं,
लेकिन मुझे मेरे बंधे हुए बाल पसंद है
क्योंकि ये हर पल मुझे उस पक्के इरादे
की याद दिलाते हैं,
जो मैंने खुद से किया है।
थोड़ी गंवार भी हूं ,
क्योंकि मुझे सवाल पूछना पसंद है
ना समझ आए तो एक बार और सही ।
मुझे यह सब मान्य है
काला रंग,
बहनजी रूप,
गंवार सोच,
सब मान सकती हूँ
क्योंकि यह मुझे इंसान बनाते हैं
बस एक बात अमान्य है
मूर्ति बनाना
मैं एक नारी हूं
इसलिए इंसान भी हूं
मुझे मूर्ति बनना
अमान्य है।
अमान्य है।
और अमान्य ही रहेगा।