मुझ पे तेरी निगाह न थी।
मुझ पे तेरी निगाह न थी।
जिंदगी की खुशी मेरी तेरे सिवाय न थी।
मेरी धड़कन मेरी सांसें तेरे सिवाय न थीं
मैं रहा शरीक तेरी हर खुशी और गम में।
ये बात और है मुझ पे तेरी निगाह न थी।
जिंदगी रेत सी फिसलती रही है मुट्ठी से।
मैं तेरे साथ था तुझको मेरी परवाह न थी।
ताउम्र रहे मुगालते में हम तेरी चितवन के
मेरी चाहत हो तुम तुम्हे तो मेरी चाह न थी।
बड़ा जिद्दी है दिल अब भी तुझ पे मरता है।
मेरे हालात पे जालिम लबों पे तेरे आह न थी।