गज़ल
गज़ल
दो घड़ी को साथ थे फिर वो चल दिए।
बुत से हम खड़े रहे राह में उनके लिए।
गजल मेरी उसने गाई बड़े अंदाज से।
इश्क की राह में जल उठे हजार दीये ।
खिजा सिमट के बहारों में बदल गई।
जुल्फ चेहरे से हटा रंग जहां में भर दिए।
उगते सूरज सी चमकीली तेरी चितवन।
नील गगन सी चुनरी में सितारे भर दिए।
खो गए मंजिल ठिकाने रास्ते हैं लापता।
छवि नैनों में बसा के बेखुदी में चल दिए।