मुद्दत पे
मुद्दत पे
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बाद मुद्दत वो
मिला था आज
महफ़िल में,
एक लहर -सा
फिर उठा था
आज इस दिल में,
मैं चुप थी वो चुप था
आज किस गम में
सारी बातें वो
कह डाला
आज अँखियों में,
नैना मेरे वो
भर डाला
आज अश्कों से
कितना तड़पी थी
वो भी तड़पा था
आज एक पल में,
रो भी न पाई
न वो रोया था
आज मिलने पे
एक बेचैनी सी
वो भर डाला
आज सीने में,
देके तन्हाई
वो हो गया
आज जुदा हमसे
टूटा दिल पूछे
वो क्यों मिला था ,
आज मुद्दत पे !!