"उम्र ढ़लने लगी है"
"उम्र ढ़लने लगी है"
न हो सखियाँ सहेली, न हो मीठी कोई बोली,
इस दुनिया की भीड़ मेंं,अकेले जब तू होगी,
समझ लेना तू, उम्र ढ़लने लगी है,
तेरी बातें सबको, चुभने लगी है।।
जब बातों को तेरे, कोई मोल न दे,
तेरा दिल बेवक्त, कोई भी दुखा दे,
समझ लेना तू, उम्र ढ़लने लगी है,
ये आँखें नजाने, क्यों रोने लगी है।। &nbs
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ये रंगीन दुनिया, बेरंग जब लगेगी,
तेरी खुशियों की, जब कदर न रहेगी,
समझ लेना तू, उम्र ढ़लने लगी है,
ख्वाहिशें तेरी सारी, मिटने लगी है।।
ये दुनिया तुझे, जब ज़ालिम लगेगी,
तुझे मौत की, प्रतीक्षा रहेगी,
समझ लेना तू, उम्र ढ़लने लगी है,
बुढ़ापा तेरे, गले लग चुकी है।।