दिल
दिल
दिल को रिहा किससे करे
दर्द जब तुझसे मिला है
तो गिला किससे करे
अश्क़ भी तूने दिया है
तो वफा किससे करे
हर तरफ बिखरा
नजर आए,मुझे अक्स तेरा
दिल के गहरे हुए ज़ख़्म पे
दवा किससे करे
जिंदगी का सफर
कटता नहीं तेरे बिना
हमसफर हिॼ बना तो फिर
मिला किससे करे
जल उठे हैं आज फिर
च़िराग दिल में कहीं
याद आते हैं बीते लम्हें
बयाँ किससे करे
तेरा चेहरा तेरी बाते,
वो खट्टे मीठे पल,
सब समाहित है मुझमें,
तो फिर,
दिल को रिहा किससे करे