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Shrishty mishra

Tragedy

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Shrishty mishra

Tragedy

मत उठा री दुनिया फायदा मेरी मजबूरी का

मत उठा री दुनिया फायदा मेरी मजबूरी का

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मत उठा री दुनिया फायदा मेरी मजबूरी का ,

घर पहुंचाने का तीगूना दाम न ले,

ना लूट मुझसे पैसा मेरी मज़दूरी का ।

   कुछ तो इतने भले महान गाड़ी लेकर आते हैं ,

   किंतु बीच सड़क पर छोड़ हमे लौट चलें जाते हैं ,

   कैसे नापू सरकार रास्ता घर की दूरी का, 

मत उठा री दुनिया फायदा मेरी मजबूरी का ।

  भला करो भगवन उनका जो भोजन लेकर आते हैं, 

   जितनी रोटी होती नहीं उतनी तस्वीर खिंचाते हैं ,

   गला ना घोटो बेरहमी से मेरी खुद्दारी का ,

मत उठा री दुनिया फायदा मेरी मजबूरी का ।

   सबकी नहीं मैं कुछ लोगों की कहता हूं ,

   तिरस्कार भरी बातें सबकी सुनता हूं ,

   अपमान न कर सरकार तू मेरी गरीबी का ,

मत उठा री दुनिया फायदा मेरी मजबूरी का ।

   बच्चें करते हैं मुझसे बस इतना एक सवाल ,

   बापू कब बीतेगा हम पर से दर्द भरा यह साल ,

   क्या झूठ कहूं क्या आशा दूं जब डर खुद हो मेरी आंखों का ,

मत उठा री दुनिया फायदा मेरी मजबूरी का ।

   अब तो यही तमन्ना है कि घर को लौट चलूं ,

   भूखा मरना है तो अपनी धरा पर जाके मरूं ,

    दोष किसी का नहीं सब दोष मेरी तकदीर का ,

मत उठा री दुनिया फायदा मेरी मजबूरी का ।

    लौटूंगा फिर कभी अगर जो हिम्मत होगी ,

    भूल सका गर बात आज जो मैंने भोगी ,

    मां बाबू कर रहे इंतजार मेरे लौटने का

मत उठा री दुनिया फायदा मेरी मजबूरी का ।



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