मत उठा री दुनिया फायदा मेरी मजबूरी का
मत उठा री दुनिया फायदा मेरी मजबूरी का
मत उठा री दुनिया फायदा मेरी मजबूरी का ,
घर पहुंचाने का तीगूना दाम न ले,
ना लूट मुझसे पैसा मेरी मज़दूरी का ।
कुछ तो इतने भले महान गाड़ी लेकर आते हैं ,
किंतु बीच सड़क पर छोड़ हमे लौट चलें जाते हैं ,
कैसे नापू सरकार रास्ता घर की दूरी का,
मत उठा री दुनिया फायदा मेरी मजबूरी का ।
भला करो भगवन उनका जो भोजन लेकर आते हैं,
जितनी रोटी होती नहीं उतनी तस्वीर खिंचाते हैं ,
गला ना घोटो बेरहमी से मेरी खुद्दारी का ,
मत उठा री दुनिया फायदा मेरी मजबूरी का ।
सबकी नहीं मैं कुछ लोगों की कहता हूं ,
तिरस्कार भरी बातें सबकी सुनता हूं ,
अपमान न कर सरकार तू मेरी गरीबी का ,
मत उठा री दुनिया फायदा मेरी मजबूरी का ।
बच्चें करते हैं मुझसे बस इतना एक सवाल ,
बापू कब बीतेगा हम पर से दर्द भरा यह साल ,
क्या झूठ कहूं क्या आशा दूं जब डर खुद हो मेरी आंखों का ,
मत उठा री दुनिया फायदा मेरी मजबूरी का ।
अब तो यही तमन्ना है कि घर को लौट चलूं ,
भूखा मरना है तो अपनी धरा पर जाके मरूं ,
दोष किसी का नहीं सब दोष मेरी तकदीर का ,
मत उठा री दुनिया फायदा मेरी मजबूरी का ।
लौटूंगा फिर कभी अगर जो हिम्मत होगी ,
भूल सका गर बात आज जो मैंने भोगी ,
मां बाबू कर रहे इंतजार मेरे लौटने का
मत उठा री दुनिया फायदा मेरी मजबूरी का ।
