मां
मां
जिंदगी मेरी रूठ गई , किस्मत ने किनारा कर लिया,
तु छोड़ गई जबसे, मां दुनिया का नजारा बदल गया ।।
चुल्हे पे चढ़ी रोटी अक्सर जल जाती है,
याद तेरी ओ मां जब किचन देख के आती है ।।
लुका छुपी का खेल जो खेला करती थी मुझ संग,
कुछ ऐसे छुपी तस्वीरों में, के दिख कर भी न दिखाई देती हैं ।।
रात अंधेरी तब भी थी रात अंधेरी अब भी है,
पहले तेरा आंचल था, अब सहमे सहमे रहते हैं ।।
पापा ने तेरी जगह अच्छे से संभाल ली है,
मगर अक्सर तन्हा रातो को तकिया गिली करते हैं ।।
