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Shrishty mishra

Others

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Shrishty mishra

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मै खुदगर्ज हूं रहने दो ना मुझे,

मै खुदगर्ज हूं रहने दो ना मुझे,

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मेरी बेतुकी बातों का मतलब ही नहीं,

तो आपका मुझसे ये सवाल कैसा है ।

मै खुदगर्ज हूं रहने दो ना मुझे,

मुझपर उठा ये इतना बवाल कैसा है ।

गमगीन कब से थे ये सूखे आंसुओ ने बयां कर दिया, 

तेरे हाथो में फिर ये रेशमी रुमाल कैसा है ।

खंजर घुसा दिया सीने में और रोने की इजाज़त भी ना दी,

महफ़िल में पूछते हैं मेरा हाल कैसा है ।

मुझे मंजिल की अब कोई तलाश नहीं है,

सपनो की उड़ी राख पर यू मलाल कैसा है ।

अपनों से धोके मिलते आए है जमाने में,

मुझे मिल गया तो इसमें कमाल कैसा है। 



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