मै खुदगर्ज हूं रहने दो ना मुझे,
मै खुदगर्ज हूं रहने दो ना मुझे,
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मेरी बेतुकी बातों का मतलब ही नहीं,
तो आपका मुझसे ये सवाल कैसा है ।
मै खुदगर्ज हूं रहने दो ना मुझे,
मुझपर उठा ये इतना बवाल कैसा है ।
गमगीन कब से थे ये सूखे आंसुओ ने बयां कर दिया,
तेरे हाथो में फिर ये रेशमी रुमाल कैसा है ।
खंजर घुसा दिया सीने में और रोने की इजाज़त भी ना दी,
महफ़िल में पूछते हैं मेरा हाल कैसा है ।
मुझे मंजिल की अब कोई तलाश नहीं है,
सपनो की उड़ी राख पर यू मलाल कैसा है ।
अपनों से धोके मिलते आए है जमाने में,
मुझे मिल गया तो इसमें कमाल कैसा है।
