मत छीनो उनसे उनका आसमां।
मत छीनो उनसे उनका आसमां।
खुला आसमां वृक्षों की डाल,
खुली हवा मनचाही राह,
मंडराते सब जगह,
आज यहां तो कल वहां,
यही तो उनका विचरने का अंदाज है,
और हम इंसानों ने कर रखा उन्हें कैद है,
छोड़ दो खुला उन्हें उड़ने दो अपनी उड़ान,
मत करो कैद यह उनका बसेरा नही,
जिस प्रकार हमें स्वतंत्रता चाहिए,
उसी प्रकार उनको खुला आसमां चाहिए,
बेशक आपकी चारदीवारी आपका आशियाना है,
पर उनका तो इधर से उधर वृक्षों पर घौंसला बनाना,
आज यहां कल वहां बैठना उनका आशियाना है,
मत छीनो उनसे उनकी वो आजादी,
बेशक रखते उनका ध्यान तुम देते समय से दाना,
पर वो जगह उनको नहीं भाती,
उनको तो खुद चुनकर लाया दाना भाता,
खुले आसमां की सैर पक्षियो का झुंड भाता।