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Manoj Kumar

Action

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Manoj Kumar

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मृत्यु मेरी अर्धागिनी

मृत्यु मेरी अर्धागिनी

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मृत्यु से क्यूँ डरूँ,

मृत्यु मेरी है अर्धांगिनी

मायके गई है

मुझे छोड़कर!

आयेगी किसी दिन,

लायेगी मेरे लिए लिबास!

मैं नींद भर सो लूँगा,

ओढ़कर!

उसी दिन शान्ति

मिलेगी मुझे!

प्रिय.!

के हाथों से ओढ़कर

देर हैं,

अंधेर नहीं हैं

वो आयेगी!

ये पता हैं!

तुझे क्या मालूम

क्यूँ मैं उससे डरूँ

क्या मेरी खता हैं।

वो मेरी अर्धांगिनी हैं

क्यूँ डरूँ..

इक दिन आयेगी

श्रृंगार करके!

नवीन लिबास ,

हाट से लेकर!

और मेरे ऊपर प्यार से ओढ़ाएगी

मैं क्यूँ डरूँ!

उस पागल से..!!!!


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