अतिवृष्टि से परेशान मानव जीवन
अतिवृष्टि से परेशान मानव जीवन
अतिवृष्टि और अनावृष्टि दोनों बराबर नहीं है।
2साल पहले बड़ौदा में 1 दिन में 24 इंच बरसात हुई ।
और सब तरफ बहुत नुकसान हुआ जान हानि और माल हानि भी हुई
कि मन यह कहने को मजबूर हो गया कि
बरखा रानी जरा थम के बरसो,
मेरा दिलबर बहार गया है, वह घर आ जाए।
जो बदहाली पानी से हुई है, वह थोड़ी थम जाए।
लोग सुरक्षित हो जाए, सब इतना ही तुम बरसो।
अब तो अपना कहर, तुम ना हम पर बरसाओ।
बरस बरखा रानी बस इतना बरसो।
लोगों की जरूरत पूरी हो, और तुमको हम खुशी से करें याद।
जिंदगी खुशहाल हो और किसान भी हरशाय।
ना कि माथे हाथ देखकर रोने का वारा आए।
बहुत कर ली बर्बादी, अब तो थम के बरसो।
ओ बरखा बरस, इतना बरस खुशहाली आए।
ताकि हम बर्बादी में तुमको कोस ना पाए।
बरखा रानी इतना बरसो खुशहाली है आए।
तुम हो प्रेमी जनों की कल्पना की दौड़ ऐसा ना हो,
प्रेमी जन ही तुमको कोसन लग जाए।
बरखा रानी जरा जम के बरसो खुशहाली है,
छाए गगन में इतना ही बरसो.
बरखा रानी जरा थम के बरसो।
