कुछ राज़
कुछ राज़
ज़िंदगी मौके देती है, एक बार नहीं हज़ार बार देती है।
मगर मूर्ख होते हैं लोग , जो सिर्फ़ अपने बारे में सोच कर ,
अपने झूठे अस्तित्व को बचाने के लिए उन मौकों को ठुकरा देते हैं और
उसके बदले में चुनते हैं झूठी शान , काला धन और बेबुनियादी परंपराएं।
शरीर का मोह लोगों को अंधा कर देता है और उस पर उन्हें शह दे जाता है
उनके द्वारा किए गए कुकर्मों का मीठा फल।
कहते हैं भगवान के घर देर है , अंधेर नहीं।
किन्तु लोग दूसरी बात को भूल कर अपने कारनामों को अंजाम देते हैं
और भगवान के द्वारा की गई उस देर में वो सारे अपराध कर देते हैं
जो उन्हें उस पाप का भागीदार बना देते हैं जिनकी माफ़ी नहीं होती।
