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Pushpraj Singh Rajawat

Abstract Romance Action

4.5  

Pushpraj Singh Rajawat

Abstract Romance Action

लिख दो मेरे नाम

लिख दो मेरे नाम

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उसने कहा जिंदगी की खूबसूरत दास्तां लिख दो,

मैंने, तेरी इबादत लिख दी।


पूछा क्यों खामोश रहते हो,

इस खामोशी का सबब लिख दो,

मैंने, तेरी मोहब्बत लिख दी।


बोली, किसका इंतजार है, लिख दो,

मैंने, तेरी बंदगी लिख दी।


फिर कहा, वो हसरतें लिख दो जो दिल में छुपी हैं,

मैंने, तुझसे मिलने की आरज़ू लिख दी।


कहा, वो सपने लिख दो जो रातों को सजते हैं,

मैंने, तेरे ख्वाबों की दुनिया लिख दी।


फिर बोली, वो दर्द लिख दो जो आँखों में बसा है,

मैंने तेरे बिना जीने की सजा लिख दी।


कहा, वो लम्हे लिख दो जो तेरे दिल के करीब हैं,

मैंने, तेरे साथ बिताए हर पल की दास्तान लिख दी।


फिर उसने पूछा, वो हंसी लिख दो जो तेरी आंखों में झलकती है,

मैंने, तेरे प्यार में खो जाने की चाहत लिख दी।


कहा, वो यादें लिख दो जो हर पल साथ रहती हैं,

मैंने, तेरे संग बिताए लम्हे की दास्तां लिख दी।


फिर बोली, वो ख्वाहिशें लिख दो जो तुझे सुकून देती हैं,

मैंने, तुझे पाने की तमन्ना लिख दी।


कहा, वो खामोशियाँ लिख दो जो तेरे दिल में बसती हैं,

मैंने, तेरे इंतजार की लम्बी रातें लिख दी।


फिर उसने कहा, वो दुआएँ लिख दो जो तेरे दिल से निकलती हैं,

मैंने, तेरे साथ जीने की मन्नत लिख दी।


उसने कहा, जो भी दे सकते हो सब लिख दो मेरे नाम,

मैंने, तेरे नाम अपनी ज़िंदगी लिख दी।


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