क्या आज भी बिल्कुल वैसा है?
क्या आज भी बिल्कुल वैसा है?
कलरव करते पंछी प्यारे,
चलें झूमते लोग सारे
मेरा वो गाँव कैसा है
क्या आज भी बिल्कुल वैसा है??
ऊँचे पर्वत गहरी घाटी
नदी का जल रेतीली माटी
बरखा की पायल की रुनझुन
हवाओं की मदमाती सनसन
कान्हा की वंशी की तान
राधा का वो विरह गान
मेरा वो गाँव कैसा है
क्या आज भी बिल्कुल वैसा है??
वही चौपालें वही पनघट
वही कोठी और यमुना का तट
वो दादी माँ वो गाँव की काकी
कुछ तो हैं बस यादों में बाकी
वो नीम का एक पुराना पेड़
वो फसलों का मौसम वो खेतों की मेड़
मेरा वो गाँव कैसा है,
क्या आज भी बिल्कुल वैसा है??