मोहोब्बत
मोहोब्बत
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lक्यों जल रहे हो तुम
शमा की मोहब्बत में
क्या यही प्यार है,
ख़ौफ़ नही तुम्हें साँसों का,
जीने की ख्वाहिश नहीं
क्या यही प्यार है
जो पनाह ना हुआ
अपनी मोहब्बत पे मैं
तो फ़िर कैसा प्यार है
पूछा मैंने तितली से,
क्यों भंवरों पर मंडरा रही हो।
क्या यही प्यार है।
क्यों तुम्हें कोई और नहीं दिखता,
क्या यही प्यार है।
जो नजर आए मुझे मेरे
प्यार के सिवा कोई और
तो वो कहाँ प्यार है।