मोहब्बत
मोहब्बत
आवारा,लफंगा ना जाने कितनी उपमाएं लोगों ने तुम्हें दी थी,
पर जाने क्या कशिश थी तुम्हारी मोहब्बत में ज़माने से लड़ बैठी!
दम तोड़ते रिश्ते को बाँध रखा है मोहब्बत ने ही,
वरना तुम्हारे रवैये से तो कब की छोड़ गयी होती!!
आवारा,लफंगा ना जाने कितनी उपमाएं लोगों ने तुम्हें दी थी,
पर जाने क्या कशिश थी तुम्हारी मोहब्बत में ज़माने से लड़ बैठी!
दम तोड़ते रिश्ते को बाँध रखा है मोहब्बत ने ही,
वरना तुम्हारे रवैये से तो कब की छोड़ गयी होती!!