मोहब्बत
मोहब्बत


मोहब्बत में शिद्दत तो थी
और जुनून भी था
पर यार...
कभी सुकून न था।
देख के उसे दिल की धड़कन तेज़ हो जाती थी
और जो न देखूँ तो उसकी याद बड़ा सताती थी
अब प्यार तो करने ही लगा था
जल उठता था जब वो प्यार किसी और से जताती थी।
दिल तो बहुत कुछ करवा लेता था
वो रूठे तो मना लेता था
वो जाए तो बुला लेता था
वो रोये तो हँसा देता था
वो सोये तो सुला देता था
मायूसी में प्यार जाता लेता था
वो जले तो और जला देता था।
सुकून की तलाश में चला था मैं
जुनून की फ़िराक़ में पिघला था मैं
मोहब्बत के बाज़ार में यूँ ही
इश्क़ के हिजाब में निकला था मैं।