मोहब्बत
मोहब्बत
हमेह मोहब्बत देबारा हो भी सकती
मै कल रूठूँ, वो मनाए न शायद
ऐसी पुरवाइ हो भी सकती है..
सब्र से पलट कर देख लेना
हमें मोहब्बत दोबारा हो भी सकती है।
किसी की सोहबत कभी
शायद मेरा एतबार न करा पाए,
लिहाज़ से रखना हाथ मेरे हाथ पर
हमारी कशिश दोबारा हो भी सकती है।
कल को हो कि तुम
इम्तिहां लो मेरे सब्र की यूँ बार बार
ज़रा नजाकत से थामना
होंठ खुले और आंख बदं हो भी सकती है।
रोज़ भूल जाना तुम्हारा
और एतबार का गलीचा टंगा है,
इस तरह मेरे गले पर क्या कहूँ
तेरी चाहत मेरी मौत का कारण हो भी सकती है।
जशन ए अश्फाक मनाया था तुझे पाने पर
पर गवाह ये भी है इस सफर में
तन्हा तेरी वजह से
ये आंखे मेरी रो भी सकती है।
अदम सी बन गई हूँ इश्क में
पुकारो इतमिनान से
संभली है जो बड़े ही सबब के बाद
ये फिर मेरी ख्वाहिश तुझे पाने की खो भी सकती है।
आवाज़ह है मेरी जिदंगी में तेरी
मेरी हंसी तुझसे
तेरे करके ही
मेरे माथे की शिकन हो भी सकती है।
लूटना ही है तो इज़हार से
आसरा ले मुझमें
मेरी रूह तेरी हो भी सकती है।
दास्ताँ ए नाराज़गी का क्या काम
तू देखना बस सब्र से
हमें मोहब्बत तुझसे दोबारा हो भी सकती है।

