मोहब्बत बेस्वाद हो चला है.....
मोहब्बत बेस्वाद हो चला है.....
महबूब की बातों में जब ना हो जिक्र
उनको ना महसूस हो आपकी फिक्र
साथ रहते पर भी लगे होने अलगाव
मन से मन का ना रहे कोई लगाव
सुकून हो, गर दो पल तन्हा होने पर
बातें भी ना गवारा लगे उसकी अगर
मान भी जाओ अब,
मोहब्बत बेस्वाद हो चला है।
उचट जाए, जब मन पुरानी यादों से
घृणा हो जाए, उनके दीदार मात्र से
स्पर्श उनका अब अनजाना हो गया
जन्मों का साथ अब बेगाना हो गया
जरा सा गुस्सा अब सयाना हो गया
खुद ही रूठना और मानना हो गया
मान भी जाओ अब,
मोहब्बत बेस्वाद हो चला है।
बातें तो हो रही, अब जज्बात नहीं रहे
साथ होकर भी हम अब साथ नही रहे
मचल उठता था मन तेरे एक ख्वाब से
मन तो अब भी वही हैं, ख्वाब नही रहे
समां बनती थी, तेरे आ जाने से जहां
की समां बनती थी, तेरे आने से जहां
ना महफिल हैं, सुकरगुजार नहीं रहे
मान भी जाओ अब,
मोहब्बत बेस्वाद हो चला है।
झिझक उठता है, मन पुरानी बातों से
ख़ामोशी से पहले इतना प्यार ना हुआ
खोने की उसे,लाख कोशिश करने पर
दिल टूटा तो,बस तार तार ना हुआ था
जब जोड़ा, मैने खुद को, खुद के लिए
जुड़ा तो मैं पर इतना टूटा ना हुआ था
मान भी जाओ अब,
मोहब्बत बेस्वाद हो चला है
जिस प्यार से प्यारा संताप हो गया है
उस प्यार की अब पीर पराई हो चली
उफनाती ये, प्यार से भरी को नदिया
एक अरसे बाद, अब स्थिर हो चली
अब सब खत्म हो चला, बस, मैं ही हूं
तुम और तुम्हारी यादें फीकी हो चली
मान भी जाओ अब,
मोहब्बत बेस्वाद हो चला है।