मनुष्य
मनुष्य
देख ज़रा मनुष्य बनकर
ये इतना आसान भी नहीं
देवता की तरह कोई जादूई शक्ति भी नहीं
अपनी असाधारण शक्ति से
जुझना पडता है मनुष्य बनने के लिए।
हर दिन संघर्ष करना पड़ता है
मुश्किलों से दो चार होना पड़ता है
रोज़ कमाने के लिए दुगना बोझ ढोना पड़ता है
छोटी छोटी बातों में खुशियां ढूंढ कर
जीने के लिए बहाने ढूंढ लेता है
परिवार को खुश रखने के लिए
इक दूसरे का सहारा बनना पड़ता है
अपने लिए ही जीना नहीं है इसे
मनुष्य है समाज के लिए भी कर्तव्य पूरा करना होता है।