मंजिल
मंजिल
मंजिल मेरी बहुत दूर है,
फिर भी उसके पास जाना है,
सारे तकलीफ़ से जूझ कर भी
उसको मेरे पास लाना है ....।
अगर मिल जाता
सब कुछ
इतनी आसानी से
जीवन का मजा
कुछ खास आता नहीं ...।
अगर मिल जाता
सब बिना किसी
मेहनत के
तो सपनों का
स्वाद किसी को पता ना होता ....।
अगर राह पर
कांटे ना होते
तो पैरो की नीचे
वो चप्पल इतनी
अहमियत ना रखती ....।
अगर सब आ जाता
खुद हमारे पास,
आसमान में
उड़ने के ख्वाब दिल में
सब ऐसे नहीं रखते .....।
फिर मुझे
पाना है मेरी मंज़िल,
चाहे जो भी हो
मुझे तकदीर से
मेहनत से
छीन के
लानी है मेरी मंज़िल ....।