STORYMIRROR

J P Raghuwanshi

Tragedy

4  

J P Raghuwanshi

Tragedy

मंहगाई की मार

मंहगाई की मार

1 min
292

मंहगाई ने बजट बिगारों,

अब कैसे होवें गुजारो।।


मंहगी शक्कर महंगो तेल,

महंगी मोटर महंगी रेल,

अभी तो जा पर कसों नकेल,

अब तो खतम राशन सारों,

अब कैसे होवें गुजारो।।

महंगाई ने ----------------


दूभर हो गई है जिंदगानी,

महंगों भयो नलो को पानी,

बिजली की भारी हैरानी,

तन्नक तो सोचो विचारों,

अब कैसे होवें गुजारो।।

महंगाई ने--------------


ऊपर से फैली बीमारी,

पेट्रोल ने तो गजब कर डारी,

महंगी हो गई चीजें सारी,

को देहें हम को सहारो,

अब कैसे होवें गुजारो।।

महंगाई ने ----------------


फीके पड़ गये हैं त्योहार,

गैस भई आठ सौ के पार,

देखो ये महंगाई की मार,

मुखिया फिरे मारो - मारो,

अब कैसे होवें गुजारो।।

महंगाई ने---------------


महंगे फल, महंगी तरकारी,

दूध की हो रही किल्लत भारी,

आफत में फंस गई घरवारी,

का करें बेबस घरवारो,

अब कैसा होवें गुजारो।।


महंगाई ने बजट बिगारों,

अब कैसे होवें गुजारो।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy