मनभावन ग्राम
मनभावन ग्राम
गाँव का सादा सा जीवन करता आकर्षित अपनी ओर,
शान्त, सरल सा व्यक्तित्व छल कपट से कोसों दूर,
पुरूष करते दिन भर मेहनत खेतों में उगाने को अनाज,
करते रात में रखवाली, है अन्नदाता हमाारे ये किसान,
महिलाएँ लाती भर पानी घड़ों में दूर से, संवारती घर को,
पहुँचाती खाना खेतों पर, बँटातीं हाथ पुरूषों का भी।
रहते परिवार सभी हो एकजुट, सदभावना की है मिसाल,
महिलायें होतीं चाची, मौसी, ताई, भाभी, जिठानी
देवरानी या बहन, नहीं होती आंटी कोई,
पुरूष होते चाचा, मौसा, ताऊ, भाई, जेठ या
देवर नहीं होता अंकल कोई।
हमउम्र बच्चे खेलते एकसाथ लड़ते झगड़ते।
पशुओं की होती देखभाल परिवार के सदस्य समान,
गऊ को मान माता करते उसकी सम्मान व पूजा,
गोबर से गाय के लीपते घर, बनाते उपले भी जलावन के लिये,
करते सहायता बैल भी किसानों की जोत कर खेत,<
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भैंस देती दूध भरपूर, दुग्ध बकरी का होता अमृत समान,
बालक, वृद्ध और अस्वस्थ के लिये।
प्रदूशण मुक्त वायु, ताज़ा फल-सब्ज़ी, दूध, दही घी,
होते सहायक रहने में स्वस्थ गाँववासियों को।
शहरी जीवन होता बिल्कुल विपरीत गाँव के जीवन से,
यहाँ घूमते लोग लगाऐ मुखौटा, मन में कुछ ज़ुँबा पे कुछ और,
होते हैं अनजाने पड़ोसी भी एक दूसरे से,
छल कपट से भरे व्यक्ति करते व्यापार मिलावटी खाद्य पदार्थों का,
होती प्रदूषित वायु इतनी कि है लेना साँस भी दूभर,
भागते रहते हर समय शहर के वाशिंदे किसी न किसी कारण,
है जटिल अत्यन्त शहरी जीवन, संतुष्ट नहीं दिखता कोई।
लुभाती है जीवन शैली गाँव की शहरियों को आज,
भाग रहे इसी कारण गाँव की दिशा में शहरी जीवन से त्रस्त व्यक्ति,
बना रहे हैं ‘ हौलीडै होम’ गाँवों में बिताने को शान्तिपूर्वक,
सम्पूर्ण जीवन न सही, कुछ हिस्सा ही ज़िन्दगी का,
मनभावन ग्राम में।।