मन
मन
मन भटक न जाए राहों में
मन खो ना जाए उलझन में।
मुझे संभाल लेना सजन
उन उलझे हुए पलों में ।।
यह चाहत है आपकी
जो दुनिया से बेगाने हुए।
यह उल्फत है आपकी
जो खुद से अनजाने हुए ।।
मुझे थाम लेना सजन
उन अनजान राहों में।
जो सहारा हो बांहों का
और कांधे पर सर हो ।
सोए रहे पहलू में यूं ही
फिर कभी सवेरा ना हो।।
मुझे जगा लेना सजन
उन अंधेरी रातों में ।।

