STORYMIRROR

Sudha Adesh

Abstract

3  

Sudha Adesh

Abstract

मन

मन

1 min
186

उलझनों में घिरा मन 

अगर मगर में हैरान परेशान मन

फिर भी चलता चला 

जा रहा है मन।


कितना कैद रहे मन,

उड़ना है तो उड़ेगा मन

फितरत से मजबूर मन


हँसोगे तो हँसेगा मन 

रोओगे तो रोएगा मन

नाचता नचाता रहा सदा मन।


आवश्यकता में तीव्रता से भागा मन 

रुका तो रुका ही रह गया मन, 

मन को ही नहीं समझ पाया मन।


मित्र बना जब मन का मन, 

अंधेरों में जुगनू सा जगमगाया मन,

इन्द्रधनुष सा लहराया, सुकून पाया मन। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract