मन पतंग
मन पतंग
1 min
205
मेरा मन पतंग उड़ती ऊँचे आकाश,
न कोई डोर, न किसी पेचे का डर,
झूम झूम उड़ती जाती ऊँचे आकाश।
जब फँसती किसी आँधी या झंझावात में,
हिम्मत कभी न हारती,नई राह बनाने में,
बाधा पार कर,सफल क्षितिज छूने में।
मन पतंग मेरी मेरे संग उड़ती,
सोच सकारात्मक रख मंजिल छूती,
ऊँचे भाव उपजवा, जज़्बा ऊँचा रखती।