Chandra prabha Kumar
Romance
मन पर किसका बस है
कर्तव्य बोध बड़ा है,
कहता है काम करो।
काम करो,
मन को बॉंधो,
भागने न दो,
बस में करो।
मन पर किसका बस है ?
उड़ता है यह वहीं कहीं,
जहाँ प्रिय चरण गये,
हमको छोड़ यहीं।
हाइकु
सूरज
चेतना विस्तार
श्रीप्रभु के ...
आ बरसो मेघा
आज रक्षाबन्धन
जन जन का प्या...
अमृत महोत्सव
प्रिय मेरा
ऑंवले का वृक्...
बड़ी मुश्किलों से मिलें दोस्त अच्छे। बड़ी आरजू थी कि बदलें फिजाएं। बड़ी मुश्किलों से मिलें दोस्त अच्छे। बड़ी आरजू थी कि बदलें फिजाएं।
मगर हर हद से आगे जा निकलती प्यार की राहें। मगर हर हद से आगे जा निकलती प्यार की राहें।
तू समझता है कि तू मेरे दिल को जानता है? नहीं, तू बस वही देखता है जो सामने है। तू समझता है कि तू मेरे दिल को जानता है? नहीं, तू बस वही देखता है जो सामने है।
जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम। जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम।
फिर भी न जाने कैसी कमी महसूस करती हूँ मैं फिर भी न जाने कैसी कमी महसूस करती हूँ मैं
शहर यूं तो कई हैं, सनम घूमने के लिए, बंधन यूं तो कई हैं, सनम बंधने के लिए, शहर यूं तो कई हैं, सनम घूमने के लिए, बंधन यूं तो कई हैं, सनम बंधने के लिए,
ये रास्ते नहीं आसान दुःख दिये जा रहे है, ये रास्ते नहीं आसान दुःख दिये जा रहे है,
एक मधुर धुन जो मेरे दिल को सुकून देती है। एक मधुर धुन जो मेरे दिल को सुकून देती है।
श्रृंगार को कुसुम और नीर का रुप है,आप में गुम मन काव्य भी कुरूप है श्रृंगार को कुसुम और नीर का रुप है,आप में गुम मन काव्य भी कुरूप है
आँखों में निंद नहीं पर गीत गुनगुनाती , आँखों में निंद नहीं पर गीत गुनगुनाती ,
माना समय नहीं रुकता उम्र गुजरती जाती है। माना समय नहीं रुकता उम्र गुजरती जाती है।
एक महफिल सजी होती है और जिक्र सिर्फ तुम्हारा होता है एक महफिल सजी होती है और जिक्र सिर्फ तुम्हारा होता है
सिर्फ मेरे ही मुकद्दर में , क्या तुम भी तरसते हों सिर्फ मेरे ही मुकद्दर में , क्या तुम भी तरसते हों
खो गए जो भी पन्ने उन्हें अब हम याद करते हैं। खो गए जो भी पन्ने उन्हें अब हम याद करते हैं।
तुम ही हो मेरे दर्द में, तुम ही हो मेरी राहत तक, तुम ही हो मेरे दर्द में, तुम ही हो मेरी राहत तक,
फिर भी नजरों के आपसे हम जी के गुजर रहे फिर भी नजरों के आपसे हम जी के गुजर रहे
किसी को किसी पर यूं एतबार नहीं होता किसी को किसी पर यूं एतबार नहीं होता
नए साल पे मिलने जा जो वादा किया है तुमने, नए साल पे मिलने जा जो वादा किया है तुमने,
अनजान है वो शायद और हम भी जताते नहीं पर चढ़े हम पे रंग भी , अनजान है वो शायद और हम भी जताते नहीं पर चढ़े हम पे रंग भी ,
तेरे मिलने की उम्मीद नहीं है मुझे, मैं खुद को क्या बताऊं तेरी कौन हूं मैं? तेरे मिलने की उम्मीद नहीं है मुझे, मैं खुद को क्या बताऊं तेरी कौन हूं मैं?