मन करता है कि
मन करता है कि
मन करता है कि,
इस दुनिया से इस्तीफा दूँ,
अन्याय और अत्याचार से,
भरी इस दुनिया से रिश्ता तोड़ दूँ।
अच्छाई को दबता और बुराई को,
उभरता हुआ कैसे देख लूँ मैं,
अच्छाई और साफ़ मन पर,
कीचड़ उचछलता कैसे देख लूँ मैं।
मन करता है कि,
इस दुनिया से इस्तीफा दूँ।
हर दिन हर पल होते इन,
क्षडयंत्रो से हमेशा के लिए,
खुद को बाहर निकाल दूँ।
भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को,
मेहनत पर काबू पाता कैसे देख लूँ मैं
ईमानदारी और परिश्रम को चंद पैसों,
के लिए बिकता कैसे देख लूँ मैं।
मन करता है कि,
इस दुनिया से इस्तीफा दूँ।