ये ज़िन्दगी
ये ज़िन्दगी
ये ज़िन्दगी भी बड़ी अजीब है,
इस पल खुशी तो अगले ही पल,
गमों का दीदार कराती है,
पल में हँसाती तो पल में रुलाती है।
हर पड़ाव पर अपने नये-नये,
इम्तिहान जो ये लेती है,
इन इम्तिहानों को अपने बलबूते पर,
पार करना भी ये सिखाती है।
ये ज़िन्दगी भी बड़ी अजीब है,
ऊँचाइयों पर पर पहुँच कर भी,
फिर नयी शुरुआत कराती है,
हर दिन हर पल नया पाठ पढ़ाती है।
इस पल सही और अगले ही पल,
गलत जो ये साबित करती है,
निरन्तर सिखने को भी,
तो ये हमें उकसाती है।
ये ज़िन्दगी भी बड़ी अजीब है,
हर दिन नये रंग ये दिखलाती है,
नयी-नयी मुश्किलों से,
सामना भी ये कराती है।
कभी हार का एहसास तो,
कभी सफलता से जो ये मिलाती है,
टूटती उम्मीदों को नई,
उम्मीद भी तो ये दे जाती है।
ये ज़िन्दगी भी बड़ी अजीब है,
जब लगे सब सही है तो फिर,
कोई कारनामा ये कर जाती है,
थक जाने वाले को ढाढस ये बँधाती है।
कुछ पाने की चाह में,
आगे बढ़ना जो ये सिखाती है,
सब पा लेने के बाद भी,
तो संतुष्टी ये नहीं दिलाती है।
