STORYMIRROR

Bhawana Raizada

Romance Classics Fantasy

3  

Bhawana Raizada

Romance Classics Fantasy

मन अनंत विचलित हृदय

मन अनंत विचलित हृदय

1 min
221

मन अनंत विचलित हृदय

सोचे स्वप्न विशाल नये। 

नैनन की अद्भुत छवि तेरी, 

निहारे तो बाजे सितार अभय। 


समुद्र सी लहर उफान पर, 

सीने में नई ऊँचाई निर्भय। 

ये इसक अब रोके ना रुके, 

बाढ़ कैसे बन्धन को सहे। 


चली बयार बसंती जबही, 

मन पुलकित पुष्प सुगंध भये। 

ख्यालों के अनगिनत पन्नों को, 

सेमेट रही तनिक मुस्काये। 


गुंजित बनी वादियाँ रंगीन, 

शहनाई शोर और मचाये। 

न मन मेरा न हृदय गति, 

इन पर अधिकार तुम ही जमाय। 


कैसे समझाऊँ इस मन को जो, 

तुम्हारे नित गुण गान गाये। 

मन अनंत विचलित हृदय, 

सोचे स्वप्न विशाल नये। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance