ममता
ममता
🌸 ममता 🌸
🌹अनन्त करुणा की छाया 🌹
✍️ श्री हरि
🗓️ 27.8.2025
ममता वह तरल ज्योति है
जो न दीपक से जन्म लेती है,
न अग्नि से प्रज्वलित होती है।
वह तो अमृत-बिन्दु है
जो मां के हृदय से स्वतः टपककर
बच्चे की श्वासों में
संगीत भर देती है।
मां का आँचल—
धरती का सबसे पवित्र तीर्थ।
उसमें नदियों का मृदुल कलकल है,
वन-उपवन का सुगन्धित श्वास है,
और नभ का नीरव आलोक।
शिशु जब उसमें समाता है,
तो लगता है मानो
अनन्त आकाश ने
अपनी बाँहें पसार दी हों।
ममता का स्पर्श
वह वसन्त है
जो पतझड़ में भी
हरीतिमा भर देता है।
वह स्पर्श शिशु के नेत्रों में
नवप्रभात की उज्ज्वल दीप्ति जगाता है,
और उसकी हँसी में
संपूर्ण सृष्टि का उल्लास
गूँज उठता है।
ममता केवल वात्सल्य नहीं—
वह जीवन का आरम्भ है।
बच्चा जब मां के स्तनों से
पहली धार पीता है,
तो केवल दूध नहीं,
संपूर्ण प्रकृति का
शाश्वत विश्वास
उसके भीतर उतर आता है।
उसकी हथेलियों की रेखाओं में
शिशु का भाग्य लिखा होता है।
वह जो आँसू पोंछ देती है,
तो मानो स्वयं गंगा
शोक में उतर कर
वेदना को पवित्र कर देती हो।
ममता का दर्शन यही है—
स्वयं को विस्मृत कर
दूसरे में जीना।
वह सूर्य है
जो स्वयं जलता है
परन्तु शिशु को
कभी तापन नहीं देता,
सिर्फ़ उजाला देता है।
और जब शिशु सोता है,
तो मां के मुख पर उतरती है
एक ऐसी शांति
जो तपस्वियों को समाधि में भी
सुलभ नहीं।
ममता जीवन का आधार है।
जहाँ ममता है, वहाँ करुणा है;
जहाँ ममता है, वहाँ धरा है;
और जहाँ ममता नहीं—
वहाँ केवल
शून्य की निर्जन प्रतिध्वनि रह जाती है।
