मखमली तेरा बदन
मखमली तेरा बदन
मखमली तेरे बदन की सिलवटें,
मेरे जिस्म पर अभी बाकी हैं!
मद भरी इन रातों में तू ही मयखाना मेरा,
तू ही मेरा साकी है!!
मखमली तेरे बदन की सिलवटें,
मेरे जिस्म पर अभी बाकी हैं!!
निगाहों से तेरी वो छलकता शराब,
मदमस्त जवानी तेरी, तेरा हुस्न लाजवाब!
बरबस ही खींचता है मुझ को तेरी तरफ,
कस्तूरी की तरह तेरा महकता शबाब!!
होठों की कलम से मैं लिखूँगा जिस पर,
तेरा जिस्म ही सनम वो खाली पाती है!!
मखमली तेरे बदन की सिलवटें,
मेरे जिस्म पर अभी बाकी हैं!!
चुमना चाहूँ तेरा अंग बार-बार,
लेकर यूँ अंगड़ाई ना कर तू बेकरार!
आ चुमूँ तेरे गालों को और छू लूँ होंठ लाल,
बाहों में तुझे भर के जी भर के करूँ प्यार!!
आ मदमस्त जवानी से तेरी खेलूँ जी भर के,
मिटा लूँ मेरे दिल की हसरतें जो बाकी हैं!!!
मखमली तेरे बदन की सिलवटें,
मेरे जिस्म पर अभी बाकी हैं!!!