मजहब
मजहब
शोर है गर्दीशों में, वफा की उम्मीद मत लगाना।
कर एतबार खुद पर , उसरतों को आसां बनाना।
रेहगुजर तो बेहिसाब तुझे मिलेंगे इस दुनिया में,
जो खुदी को आवाज दे उसे ही खुदा बनाना।।।
इंसान की मालूम नहीं चलती फितरत केवल आजमाने से।
इतना समझ ले ’है काफी’ जो निकले तेरी ’रूह से’ ,
उसे अपना मजहब बनाना।