साहस का परचम
साहस का परचम
लहराते हुए तिरंगा अपना वो वीर कहलाते हैं
जिन्होंने सरहदों पर दी अपनो की कुर्बानी थी।
तिरंगे में लिपटा जिनका मृत शरीर वीरता को पूछ रहा था।।
हैं माटी के लाल ऐसे जिनका कर्तव्य कुछ बोल रहा था।।।।
लहू से लिपटी हुयी इन वीरों की ये सच्ची कहानी थी।
अपना शरीर त्यागकर ये आजादी मुफ्त में न पानी थी।।
मत पूछ कि कितने मिटे कितने बचे सच पूछो तो जंग की हर वो कीमत चुकानी थी।।।।
मेरे भारत पर आंच न आ सके इसलिए कूद गए जंग में मेरे वतन के सिपाही ।
उनके खून का एक एक कतरा अपनी आजादी की निशानी थी।।