Kahkashan Danish
Tragedy
आदमी कितना मजबूर है,
अपनो से भी हुआ दूर है।
कैद भी अपने घर ही हुआ,
जाने क्या रब को मंज़ूर है।
बंद हैं दर इबादत के अब,
दिल में रब का मगर नूर है।
अब ख़ुदा से ही मांगो दुआ,
दर्द करता वो ही दूर है।।
मेरे मुरशिद
जीवन और संघर्...
सावधानी
मिट्टी का गीत
कैसी तन्हाई ?
हौसला रखिऐ
माफ़ीनामा
रब ही जाने!
हिज्र में उम्...
अपनों के दर्द ने सहने की सीमा की पार, फिर भी जख्मी दिल क्यों करता सभी से प्यार। अपनों के दर्द ने सहने की सीमा की पार, फिर भी जख्मी दिल क्यों करता सभी से प्या...
सूनी पड़ी वो बगिया जो सिर्फ आपसे ही महकती थीI सूनी पड़ी वो बगिया जो सिर्फ आपसे ही महकती थीI
कभी एक साथ रहने वाले भाई भी, एक ही घर में रहकर बोलते तक नहीं हैं... कभी एक साथ रहने वाले भाई भी, एक ही घर में रहकर बोलते तक नहीं ह...
उसने सिर्फ जिस्म को चाहा है मेरे, रूह से मुझे कभी उसने जाना ही नहीं। उसने सिर्फ जिस्म को चाहा है मेरे, रूह से मुझे कभी उसने जाना ही नहीं।
मैं मामूली सा श्रमिक हूं साहब, मेरे लिए जीना भी एक मज़दूरी है। मैं मामूली सा श्रमिक हूं साहब, मेरे लिए जीना भी एक मज़दूरी है।
प्रिय आचरण लोक कुछ जन्म से जन्मे प्रत्येक...आकर्षित प्रिय स्वभाव..लोक। प्रिय आचरण लोक कुछ जन्म से जन्मे प्रत्येक...आकर्षित प्रिय स्वभाव..लो...
जानता हूं कि अब ईमेल व्हाट्सप्प का ज़माना है, अब कागज़ के ख़त का कहां कोई दिवाना है। जानता हूं कि अब ईमेल व्हाट्सप्प का ज़माना है, अब कागज़ के ख़त का कहां कोई दिवाना...
तुझे याद करके ही एक पल के लिये ही सही, फिर से मैं खुशहाल हो गया। तुझे याद करके ही एक पल के लिये ही सही, फिर से मैं खुशहाल हो गया।
तेरे ही ख्यालों मैं कैसे खुद को हम भूल बैठे, तुम्हें देखकर क्यों खुद को न रोक पाये हम.. तेरे ही ख्यालों मैं कैसे खुद को हम भूल बैठे, तुम्हें देखकर क्यों खुद को न रोक पा...
रक्षक ही भक्षक बन जाये माली से भी सिहरे चमन। रक्षक ही भक्षक बन जाये माली से भी सिहरे चमन।
अपने से ही ज़िन्दगी में इक बार फिर समझौता कर लिया। अपने से ही ज़िन्दगी में इक बार फिर समझौता कर लिया।
साहब मैं मज़दूर हूँ मैं मज़दूर हूँ, मैं मजबूर हूँ। साहब मैं मज़दूर हूँ मैं मज़दूर हूँ, मैं मजबूर हूँ।
दिन-रात करता ये मेहनत पर मिलता न फल अनुकूल है कितना बेबस मजदूर है। दिन-रात करता ये मेहनत पर मिलता न फल अनुकूल है कितना बेबस मजदूर है।
वादे तो कर लिए पर निभाना न आया, पाने की ख्वाहिश थी..चाहना न आया, वादे तो कर लिए पर निभाना न आया, पाने की ख्वाहिश थी..चाहना न आया,
तेरी आंखों में नहीं शील है, तू बदजात बेवफा बेदर्द है। तेरी आंखों में नहीं शील है, तू बदजात बेवफा बेदर्द है।
टटोलकर, फिर एक नई शुरुआत करते हैं, चलो कुछ लिखते हैं। टटोलकर, फिर एक नई शुरुआत करते हैं, चलो कुछ लिखते हैं।
तुम पर खुशियां लुटाने के लिए, अपने सपनों से दूर हूँ। तुम पर खुशियां लुटाने के लिए, अपने सपनों से दूर हूँ।
जेठ की तपती दुपहरी में, पूस की ठिठुरती ठंड में। जेठ की तपती दुपहरी में, पूस की ठिठुरती ठंड में।
आखों में एक परी थी , पर मुरझाई हुई वो कली थी, रंग उसका सांवला था। आखों में एक परी थी , पर मुरझाई हुई वो कली थी, रंग उसका सांवला था।
तुझ से हार गया ए मेरी ज़िंदगी, तू अब मेरा हिसाब कर दे तुझ से हार गया ए मेरी ज़िंदगी, तू अब मेरा हिसाब कर दे