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Chitra Chellani

Inspirational

4.5  

Chitra Chellani

Inspirational

मित्र

मित्र

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चाहे जितना रुचिर सजा हो इस जीवन का चित्र

कांति अधूरी जब तक उसमें रंग भरे ना मित्र। 


बचपन, यौवन और बुढ़ापा, हो कोई अध्याय 

जीवन के हर रस का मानो, मित्र बना पर्याय ।


नदिया पोखर, खेत मुंडेरें, खट्टी इमली, मीठे आम 

बचपन याद किया, दृग में घिर आए सब चेहरे और नाम ।


जीवन क्रम में आगे बढ़ते, सहते चलते छाँया धूप 

यारों,यार के चेहरे बदले, यारी का ना बदला रूप ।


स्मृतियां जोड़ी, अश्रु घटाया, ऐसा स्नेह जताया 

खुशियाँ दुनी, गम को भागा, सारा गणित निभाया ।


स्वयं कुटुंबी भी जब इक दिन,खुद को व्यस्त कहेंगे 

जीवन सांझ में, संग हँसने को, केवल मित्र रहेंगे। 


कोविद कहें, दंपति में भी, रखो मित्रों सा एहसास 

बालक भी षोडश हो जाये, रखो उसे मित्र सा पास ।


मित्र निधि अनमोल निधि है, नहीं कोई इसमें संशय 

प्रेम भाव से द्वेष दूर रख,सदा करो इसका संचय। 



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