मिलता नही सुकूं।
मिलता नही सुकूं।
मिलता नहीं सुकूं तेरे बिन कहीं।
बे-जार है बहुत ये मेरी जिन्दगी।।1।।
टूटा दिल लेकर जाए हम कहां।
साहिल आकर कश्ती मेरी डूबी।।2।।
ये गुनाह है कमबख्त दिल का।
पर सजा मेरी रूह को है मिली।।3।।
आशिकी में बसाने चले थे घर।
मोहब्बत ने मेरी दुनिया है लूटी।।4।।
हर रिश्तों से हम पराए हुए है।
सहारा ना कोई उम्मीद है टूटी।।5।।
बारिश की एक बूंद ना बरसी।
आफताब से जमीं भी है सूखी।।6।।