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Namrata Saran

Romance

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Namrata Saran

Romance

मिलना याद रखना

मिलना याद रखना

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अक्षर अक्षर

तुमको पढना...

कितना तसल्ली देता है,

जितना समझती जाती हूँ तुमको 

उतनी ही अबूझ पहेली तुम...

मेघ सदृश बरसते हो

बूंद बूंद समा जाते हो रूह मे...

.

थाम लेते हो क्षण में

जीवन सागर का झंझावात,

बाजू मेरे थामें नही पर

महसूस होते हो तुम ही इर्द गिर्द....

कितने मौसम बीते

तुम्हें देखा नही,

पर नज़र आते हो तुम ही

मुस्काते हर सूं....


मुझसे दूर मेरे बगैर

मेरे साथ हो तुम,

मुझमे हर पल जो धड़कता

वो एहसास हो तुम....

जीवन के अंतिम क्षणों तक चाहे

ये आस पूरी कर देना,

मेरे दर्द को समझते थे तुम

सिर्फ ये बात इज़हार कर देना....


किसी को चाहते रहना गुनाह नहीं

तुम्हारा कहा याद आता है,

आँखें मुस्कुराती है

दर्द मीठा हो जाता है.....

अक्षर अक्षर पढ रही हूं तुम्हे

बस इतना याद रखना ,

पूर्ण विराम से पूर्व

मिलना याद रखना....



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