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Akanksha Gupta (Vedantika)

Romance

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Akanksha Gupta (Vedantika)

Romance

मिल जाऊँ मैं खुद से।

मिल जाऊँ मैं खुद से।

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रेतीले टीले पर जहाँ,

दूर तलक वीराना हो,

मिल जाऊँ मैं खुद से, 

ना कोई और फसाना हो।


नदी के बिछड़े किनारे पर, 

बिखरी हुई हो चांदनी,

सितारों की छाँव तले, 

विहार करें हंस और हंसिनी,

झंकार करें शीतल पवन, 

और मौसम सुहाना हो,

मिल जाऊँ मैं खुद से, 

ना कोई और फसाना हो।


चलते हुए दूर तक, 

कदमों के निशान बने जहाँ,

अकेले गुनगुनाते हुए, 

हम निकल पड़े वहाँ,

मैं ही साज़ बनू, 

और मेरा ही तराना हो,

मिल जाऊँ मैं खुद से,

ना कोई और फ़साना हो।


रेतीले टीले पर जहाँ, 

दूर तलक वीराना हो,

मिल जाऊँ मैं खुद से, 

ना कोई और फ़साना हो।



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