ANKIT SHARMA (आज़ाद)

Romance Classics

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ANKIT SHARMA (आज़ाद)

Romance Classics

मीठा धोखा

मीठा धोखा

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जैसे तैसे आंख बचाकर,

थोड़ा सा जी लेता हूं।

रही बची मस्ती की हाला,

थोड़ी सी पी लेता हूं।।


फिर तुमको उन लम्हों का

दीदार करा देता हूं मैं,

बस हंसता हूं रोता ही नहीं

एतबार करा देता हूं मैं।


कितनी नादां हो

हंसती तस्वीर मेरी,

दिल से लगाए रहती हो।

भोली हो

मेरी खुशियों से ही

तुम खुश होकर रह लेती हो।


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