Karuna Atheya
Classics
भाया जोग,
छोड़ा भोग।
लागी प्रीत,
कान्हा मीत।
जागे पीर,
नैना नीर।
देखे मीत,
गाये गीत।
लेती नाम,
मीरा, श्याम।
सच्चा सार,
होता प्यार।
पूजे ईश,
देवाशीष।
छूटी साँस,
पूरी आस।
चाहा श्याम,
पाया नाम।
मीरा प्रीत,
सच्ची रीत।
मच्छर
बेटी
रिश्ते
मीरा
मृत्यु
बनारस
नेहाशीष
वेदना
जीवन लगता प्य...
रास लीला की कथा को, मैं सुनाता आज। ध्यान से सुन लो मनोहर, गूढ़ है ये राज॥ रास लीला की कथा को, मैं सुनाता आज। ध्यान से सुन लो मनोहर, गूढ़ है ये राज॥
अक्रूर जी कहें कि आप कारण हैं प्रकृति आदि समस्त कारणों के । अक्रूर जी कहें कि आप कारण हैं प्रकृति आदि समस्त कारणों के ।
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित भगवान ने तब संकल्प कर लिया। श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित भगवान ने तब संकल्प कर लिया।
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित भगवान कृष्ण बैठे हुए थे। श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित भगवान कृष्ण बैठे हुए थे।
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित सुनकर जरासंध के वध को। श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित सुनकर जरासंध के वध को।
श्री कृष्ण का चिंतन करती रहें वाणी से लीलाओं का गान करें। श्री कृष्ण का चिंतन करती रहें वाणी से लीलाओं का गान करें।
काँप रही थी पृथ्वी, स्वर्ग भी था भयभीत। महिषासुर ने लिया, तीनों लोकों को जीत। काँप रही थी पृथ्वी, स्वर्ग भी था भयभीत। महिषासुर ने लिया, तीनों लोकों को जीत।
लोकमर्यादा की रक्षा के लिए वहीं पर यज्ञ किया था उन्होंने। लोकमर्यादा की रक्षा के लिए वहीं पर यज्ञ किया था उन्होंने।
वही द्रोण नन्द हुए और धरा जन्मीं यशोदा के रूप में। वही द्रोण नन्द हुए और धरा जन्मीं यशोदा के रूप में।
भगवान कृष्ण ने कहा, उद्धव जो कुछ कहा तुमने मुझसे मैं वही करना चाहता हूँ। भगवान कृष्ण ने कहा, उद्धव जो कुछ कहा तुमने मुझसे मैं वही करना चाहता हूँ।
कृष्ण पत्नियाँ उनके बिछोह की आशंका में व्याकुल हो जातीं सब । कृष्ण पत्नियाँ उनके बिछोह की आशंका में व्याकुल हो जातीं सब ।
कुरुक्षेत्र में दिव्यदृष्टि से, झाँक-झाँक तत्काल । कुरुक्षेत्र में दिव्यदृष्टि से, झाँक-झाँक तत्काल ।
परीक्षित, भगवान की आज्ञा मानकर अक्रूर हस्तिनापुर चले गए। परीक्षित, भगवान की आज्ञा मानकर अक्रूर हस्तिनापुर चले गए।
जरासन्ध की सेना ने वहाँ वाणों की वर्षा कर दी थी. जरासन्ध की सेना ने वहाँ वाणों की वर्षा कर दी थी.
श्रीकृष्ण की सुन लो कथा तुम, आज पूरे ध्यान से। भवसागरों से मुक्ति देती, यह कथा सम्मान । श्रीकृष्ण की सुन लो कथा तुम, आज पूरे ध्यान से। भवसागरों से मुक्ति देती, यह कथ...
हाथ बढ़े तो देश की खातिर कंठ से हो बस जय जयकार हाथ बढ़े तो देश की खातिर कंठ से हो बस जय जयकार
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित कृष्ण बलराम एक दिन गए थे प्रातक़ालीन प्रणाम करने के श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित कृष्ण बलराम एक दिन गए थे प्रातक़ालीन प्रण...
आज युद्ध की आहूती में बारी मेघनाद की आई थी मारूँगा या मर जाऊँगा सौगंध पिता की खाई थी आज युद्ध की आहूती में बारी मेघनाद की आई थी मारूँगा या मर जाऊँगा सौगंध पिता क...
किया हर युग में, कितना अपमानित, कितने दुर्बल हो, हुआ यह प्रमाणित। किया हर युग में, कितना अपमानित, कितने दुर्बल हो, हुआ यह प्रमाणित।
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित श्री कृष्ण की प्रत्येक पत्नी से. श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित श्री कृष्ण की प्रत्येक पत्नी से.