वेदना
वेदना
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वेदना क्यों हिया?
भेदती है जिया।
शूल सी बींधती,
नीर से सींचती।।
प्रीत क्यों हारती?
घाव क्यों पालती?
दे रही यंत्रणा ,
शून्य है मंत्रणा ।।
क्या यही वेदना ?
लीलती , चेतना ।
तौल के देखती ,
मौन हो सोचती।।
खो रही आस सी,,
बीतते साल सी।
रीत को तोड़ती,
प्रेम है जोड़ती ।।