प्रीत क्यों हारती? घाव क्यों पालती? दे रही यंत्रणा , शून्य है मंत्रणा ।। प्रीत क्यों हारती? घाव क्यों पालती? दे रही यंत्रणा , शून्य है मंत्रणा...
जीत रिश्ते हारती तब सिर चढ़ी जब लालसाएं। जीत रिश्ते हारती तब सिर चढ़ी जब लालसाएं।