Karuna Atheya

Abstract

5.0  

Karuna Atheya

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नेहाशीष

नेहाशीष

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हो प्रशस्त पग नव जीवन में

मलय-सुगन्धित, जीवन सारा।

अब कर्तव्य पथ है विस्तीर्ण 

रंग प्रेम का, बिखरा न्यारा।


मेहँदी रची, हथेलियों पर

कर में चूड़ी-कंगना खनकें।

मांग सिंदूर, पाँव बिछुए

पायलिया पग, रुनझुन झनके।


जिन्दगी का, सुंदर अध्याय,

बनी भूमिका, नवजीवन की।

नव-गीत रचे, नव-ताल सजे !

सुरभित बगिया हो जीवन की।


बेटी तुम्हें मधुर नेहाशीष ,

वृष्टि हो सुखों की, जीवन में।

प्रीत, पिया के, दामन में भर

प्रेम कुसुम, सुरभित जीवन में।


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