नेहाशीष
नेहाशीष
हो प्रशस्त पग नव जीवन में
मलय-सुगन्धित, जीवन सारा।
अब कर्तव्य पथ है विस्तीर्ण
रंग प्रेम का, बिखरा न्यारा।
मेहँदी रची, हथेलियों पर
कर में चूड़ी-कंगना खनकें।
मांग सिंदूर, पाँव बिछुए
पायलिया पग, रुनझुन झनके।
जिन्दगी का, सुंदर अध्याय,
बनी भूमिका, नवजीवन की।
नव-गीत रचे, नव-ताल सजे !
सुरभित बगिया हो जीवन की।
बेटी तुम्हें मधुर नेहाशीष ,
वृष्टि हो सुखों की, जीवन में।
प्रीत, पिया के, दामन में भर
प्रेम कुसुम, सुरभित जीवन में।