बनारस
बनारस
पाँच हजार वर्षों पुराना
इतिहास,बनारस का सारा।
बनी मान्यताएँ पौराणिक
लेकर मीठा,सच,कुछ खारा।
आस्था के पलने में झूली
लेती सदा हिचकोले आन।
देती, बनारस को पहचान
विश्वनाथ कीनगरी महान।
वरुणा,असी सारंग दोनों
हुई रुग्ण अब सरिता धारा।
आदिकेशव घाट पर वरुणा
मिले, मंदाकिनी जल-धारा।
तनूजा असी, वरुणा, कारण
है ,वाराणसी नाम, जहान ।
दो-दो तटिनी,बनी हैं जान
विश्वनाथ की नगरी महान।
डी.यल.डब्लू.के परिसर में,
बहती प्रदूषण मुक्त बयार ।
मडुवाडीह की ओर से ही
उड़ता सदा ही, धूल-गुबार ।
गंग- उर्मियों पर, इठलातीं
तैरतीं कश्तियाँ, सुबह-शाम।
मिले मोक्ष,करके गंग स्नान
विश्वनाथ की नगरी महान।
विश्वनाथ मंदिर के नियरे,
दो गुम्बद मस्जिद के चमकें।
मोक्षदायिनी तट, संध्या में
घाट दशाश्वमेध का दमके।
शंखनाद हो, सप्तम स्वर में
गुंजित उर, शुचि मंत्र से, ज्ञान।
जीवित खुद करे, तर्पण प्राण
विश्वनाथ की नगरी महान !
हों आलोकित जब दीप सभी,
करते हृदयाकाश प्रकाशित।
देख दृश्य,मणिकर्णिका घाट
हो सत्य शाश्वत, परिभाषित।
पंचतत्व, निर्मित यह काया
नश्वर देह करे, व्यर्थ मान।
अजर,अविनाशी आत्मा जान,
विश्वनाथ की नगरी महान।
बहुत भव्य है, सुंदर सारा
विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालय।
परिसर में देवालय निर्मित
विश्वनाथ का चारु शिवालय !
दर्शन करें, कृतार्थ जीवन
करते शिव सदा अभ्युत्थान।
बना जो, इस नगरी की शान
विश्वनाथ की नगरी महान।
सुन्दर सारी, रंग-बिरंगी
बार्ड़र, बूटी वाली प्यारी
बनारसी, रेशम -साड़ी वो
पल्ले संग दिखे जो न्यारी।
बेला गजरा,सुरभित संध्या
मघई गिलौरी,लब की शान।
इस नगरी की,यही पहचान
विश्वनाथ की नगरी महान।
संकट मोचन है यह मंदिर,
स्थित जहाँ हैं,केसरीनंदन।
गर्दन तुलसी-दल की माला,
राम-सिया को करते वंदन।
भोग लगे, लड्डू बेसन के
पवनपुत्र का सब करें ध्यान।
रोग- शोक दुख, हरे हनुमान !
विश्वनाथ की नगरीमहान।
दुर्गा जी का सुंदर मंदिर
कुसुम अंजुरी भर कर अर्पित।
करके समर्पित श्रद्धा- पुष्प
देवी- कृपा करे अनुकम्पित।
पुष्प,नारियल चढ़ते मंदिर,
पावन -सुंदर भवानी-थान।
माँ हरतीं कष्ट, ले संज्ञान
विश्वनाथ की नगरी महान।
अद्भुत, पावन मानस मंदिर
सब, रामायण की चौपाई
लिखी संगमरमर पत्थर पर
मंदिर की, दीवार खुदाई ।
राम सिया के संग विराजें,
तुलसी खड़ाऊँ पायें मान।
तुलसी हार से हो सम्मान
विश्वनाथ की नगरी महान।
दीनानाथ की चाट प्रसिद्ध,
देखी टमाटर, की भी चाट।
है टिक्की का स्वाद अलग ही,
मिलती सकोरों, में है चाट।
क्षीर-सागर की लें मिठाई ,
राबड़ी पर, खोया सामान
बनी रबड़ी, लस्सी की शान
विश्वनाथ की नगरी महान।
चिरसंचित,अभिलाषा मेरी
तृप्त हृदय हो,दर्शन पा कर।
सब चिंता हरें, विश्वनाथ जी
हिया तृप्त, दुग्धाभिषेक कर।
अशुभ ग्रहों से, दें अभयदान !
शिव का बंदे करो, गुणगान
विश्वनाथ की नगरी महान।
बनारस, काशी, वाराणसी
नाम हैं सारे, एक समान।
बारह ज्योतिर्लिंग में खास,
सदा काशी विश्वनाथ स्थान।
नगरी बनारस आध्यात्मिक,
हैं कण-कण में, शिव विद्यमान।
बाबा देते सभी को ज्ञान
विश्वनाथ की नगरी महान !
नगरी विश्वनाथ की महान !
विश्वनाथ की नगरी महान !
