महोब्बत जिंदाबाद
महोब्बत जिंदाबाद
एक जोड़ा,
घोड़ा घोड़ी का।
दोनों में प्यार,
हर सीमा पार।
अगर एक के आगे,
चारा डालो,
और दुसरे के आगे नहीं,
तो पहले वाला भी,
नहीं खाता।
अगर एक को अकेले,
सैर के लिए ले जाओ,
तो वो तब तक न जाए,
जब तक जोड़ीदार,
न आ जाए।
सबको ये प्मार देख,
हैरानी होती,
इसीलिए सब में,
ये जोड़ी,
प्रसिद्धि पाती।
एक बार,
इन दोनों का मालिक,
घोड़े को ले गया,
घुड़दौड़ में।
परंतु घोड़ा,
भागने के लिए,
तैयार नहीं।
बहुत मारा पीटा,
परंतु न माने।
आखिर घुड़दौड़ में,
पीट पीटकर,
शामिल तो करवा लिया।
ल
ेकिन मरी हुई,
चाल चले।
आखिर अश्वपाल ने सुझाया,
इसकी घोड़ी को लाइए,
शायद फिर कोई,
करामात पाइए।
किसी तरह से,
फुसलाकर घोड़ी को लाया गया,
घोड़ी जैसे ही हिनहिनाई।
घोड़ा भी,
जबाव में हिनहिनाया,
और ऐसा सरपट भागा,
सबको पीछे छोड़,
घोड़ी के पास,
जा पहुंचा।
घोड़ा घोड़ी,
इकट्ठे जैसे ही हुए,
दोनों पिछली,
टांगों पर,
खड़े होकर,
नाचने लगे,
और फिर मिलने की,
खुशी में हिनहिनाने लगे,
सारे देखने वाले,
चारों तरफ,
खड़े होकर,
तालियां पिटने लगे।
अंत में,
दोनों को,
विजेता घोषित किया।
समापन।